भाजपा को क्या मिलेगा? / सिंधिया राज्यसभा जा रहे, मगर मध्य प्रदेश में सक्रिय रहेंगे; भाजपा युवा चेहरे-स्टार कैंपेनर के तौर पर उनका इस्तेमाल कर सकती है

ग्वालियर के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए हैं। भाजपा ने उन्हें मध्यप्रदेश से राज्यसभा का टिकट भी दे दिया है। अब जनता के जेहन में बड़ा सवाल यह है कि सिंधिया से भाजपा को आने वाले समय में क्या मिलेगा? क्या सिंधिया की भूमिका सिर्फ मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनवाने तक सीमित रहेगी? या फिर आने वाले चुनावों में भी भाजपा राज्य में उनका इस्तेमाल करेगी? एक बात जाहिर है कि सिंधिया मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता हैं। वे जमीन पर रहना पसंद करते हैं। खासकर ग्वालियर-चंबल इलाके में। वह यहां हर छोटे-बड़े समारोह में शामिल होते रहते हैं। 2019 में वह गुना से आम चुनाव हार गए, लेकिन सक्रियता कम नहीं हुई। ऐसे में भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेजने की तैयारी जरूर कर ली है, लेकिन वह मध्य प्रदेश की राजनीति में सक्रिय जरूर दिखेंगे। सिंधिया ने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस कहा भी कि वह देश के दिल मध्य प्रदेश की सही तरीके से सेवा नहीं कर पा रहे थे, इसलिए भाजपा में शामिल हुए।


आप ऐसे समझें भाजपा को सिंधिया से क्या फायदा होगा...



युवा चेहरा: 49 साल के सिंधिया आने वाले समय में शिवराज का विकल्प भी बन सकते हैं
ज्योतिरादित्य सिंधिया अभी 49 साल के हैं। भाजपा उनका इस्तेमाल आने वाले चुनावों में बतौर स्टार कैंपेनर कर सकती है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने से भाजपा को न केवल मध्य प्रदेश में दोबारा सरकार बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि राज्य में नई लीडरशिप भी तैयार होगी। वे युवा और प्रतिभा के धनी नेता हैं। उनके आने से न सिर्फ राज्य में, बल्कि केंद्र में भी पार्टी को मदद मिलेगी। राज्य में शिवराज सिंह चौहान और नरेंद्र तोमर जैसे वरिष्ठ नेता जरूर हैं, लेकिन एक युवा चेहरा चाहिए, जो पार्टी को आगे ले जा सके।


 
ग्वालियर-चंबल: यह सिंधिया का गढ़, कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में यहां 75% सीटें जीती थीं
भाजपा 2018 विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में लगातार तीसरी बार इसलिए सत्ता में नहीं आ सकी, क्योंकि वह ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में बुरी तरह हार गई। यह वही क्षेत्र है, जो ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ है। यहां विधानसभा की 34 सीटें हैं। कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनाव में यहां की 75% सीटें जीत ली थीं। इसी क्षेत्र में एससी-एसटी कानून को संरक्षण देने वाली मोदी सरकार के खिलाफ सवर्णों ने सबसे ज्यादा आंदोलन किया था। भाजपा एक बार फिर यहां सिंधिया के जरिए सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले को लोगों तक पहुंचा सकती है।



राज्यसभा चुनाव: सिंधिया के आने से भाजपा को अब राज्य की तीन में से दो सीटें मिलना तय
मध्य प्रदेश में राज्यसभा की कुल 11 सीटें हैं। अभी भाजपा के पास 8 और कांग्रेस के पास 3 सीटें हैं। इनमें से तीन सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव है। यह सीटें अभी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा और पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया के नाम हैं। पहले भाजपा संख्याबल कम होने के चलते, इनमें से सिर्फ एक सीट पाती दिख रही थी, लेकिन अब सिंधिया के शामिल होने से दो सीटों पर भाजपा का जीतना तय हो गया है। सिंधिया के मंगलवार को कांग्रेस छोड़ते ही पार्टी के 22 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया।



मध्य प्रदेश: भाजपा को राज्य में लोगों तक पहुंचने और जनाधार बढ़ाने में मदद मिलेगी
विधानसभा चुनाव में पूरे राज्य में सिंधिया ने कांग्रेस की ओर से सबसे ज्यादा चुनावी सभाओं को संबोधित किया था। कांग्रेस का हर प्रत्याशी उनसे प्रचार करवाना चाह रहा था। सिंधिया ने राज्य में करीब 110 चुनावी सभाओं को संबोधित किया, इसके अलावा 12 रोड शो भी किए। उनके मुकाबले कमलनाथ ने राज्य में सिर्फ 68 चुनावी सभाओं को संबोधित किया था। भाजपा की ओर से शिवराज ने अकेले 200 से ज्यादा सभाएं की थीं। ऐसे में सिंधिया के पार्टी में आने से भाजपा को राज्य में लोगों तक पहुंचने और पार्टी का जनाधार बढ़ाने में मदद मिलेगी। 2018 में जब मध्य प्रदेश में कांग्रेस की वापसी हुई तो उसमें सिंधिया का ही सबसे अहम योगदान था। भाजपा का कांग्रेस के खिलाफ नहीं, महाराज यानी सिंधिया के खिलाफ अभियान था। पार्टी ने नारा दिया था-  'माफ करो महाराज, हमारा नेता शिवराज'।



देशव्यापी माहौल: बिहार और पश्चिम बंगाल चुनाव में भाजपा को फायदा होगा  
सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद कई और असंतुष्ट कांग्रेस नेता भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा भाजपा को पूरे देश के अलावा आने वाले बिहार, पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ कैंपेन करने में मदद मिलेगी। ज्योतिरादित्य के आने से लोगों को संदेश भी गया है कि कांग्रेस कितनी कमजोर हो चुकी है और मोदी-शाह की रणनीति कितनी कारगर है। मोदी और शाह, गांधी परिवार पर सिंधिया के बहाने और हमले कर सकते हैं।



Popular posts
मप्र / भाजपा का आरोप- आदिवासियों को ईसाई बनाना चाहते हैं सीएम; कमलनाथ बोले- संघ को जहर नहीं घाेलने देंगे
लॉकडाउन डांस / जान्हवी कपूर को आई अपनी डांस क्लास की याद, एश्वर्या राय के गाने पर डांस करते हुए शेयर किया थ्रोबैक वीडियो
क्रिकेट / ब्रायन लारा बोले- काश केएल राहुल जैसी तकनीक मेरे पास होती, पता नहीं उन्हें टेस्ट टीम में क्यों नहीं लिया गया
जलियांवाला बाग कांड के 101 साल / 10 साल रिलीज को तरसी गुलजार की लिखी 'जलियांवाला बाग', पहले बजट ज्यादा हुआ फिर विनोद खन्ना इंडस्ट्री छोड़ गए